
*अमरकंटक की पावन धरा पर वर्षा का रसमय आलिंगन*

///अमरकंटक ज्वालेश्वर ग्लोबल न्यूज-श्रवण उपाध्याय की रिपोर्ट///
///अमरकंटक/// – मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक जो
मध्यप्रदेश की पवित्र धार्मिक एवं पर्यटक नगरी है । जो इन दिनों वर्षा के आक्रमण से पूरा क्षेत्र विकराल रूप ले रहा रखा है लेकिन दूसरी तरफ मानो वर्षा के अनवरत बारिश से संगीत से पूरा क्षेत्र भीग रही है । अमरकंटक में प्रतिदिन कभी रिमझिम फुहारें तो कभी झमाझम बरसात । रोजाना वर्षा से वादियों को मधुर गान-सा आलोकित कर रही हैं ।
शारदीय नवरात्र से आरंभ हुआ वर्षा यहा सावन-सा उल्लास अभी थमा नहीं है ।
हर सुबह , हर संध्या और हर रात्रि वर्षा का कोई न कोई रूप धरती को आलोकित कर जाता है ।
आश्विन शुक्ल शरद पूर्णिमा मास विदा लेने को तैयार है और कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा मास का पावन आगमन 8 अक्टूबर बुधवार से हो रहा है , किंतु आकाश अब भी अपने जलधारों को रोक नहीं पा रहा। वर्षा के इस सिलसिले ने अमरकंटक का वातावरण इतना मोहक बना दिया है कि यहां की वादियां हर समय किसी नववधू-सी सजधजकर नजर आने लगती और मुस्कुराहट सी वादियों में उठती रहती हैं ।
बारिश से जीवन प्रभावित हो रहा है पर आस्था अडिग है
इस निरंतर बरसात ने जहाँ किसानों की सब्ज़ी और खेती की फसलों पर असर डाला है , वहीं स्थानीय व्यापार भी इससे अछूता नहीं रहा ।
रविवार का साप्ताहिक बाजार बारिश की बूँदों में बहकर अधूरा रह गया।
इस आंधी तूफान वर्षा से अमरकंटक के व्यापारी भी मायूस दिखते है । ग्राहक खाली हाथ बाजार से लौटे रहे । वर्षा के कारण सभी इतने ज्यादा परेशान हो चुके है कि साप्ताहिक बाजार वर्षा के कारण जाना दूभर हो गया है । दूसरी तरफ आस्था के दीपक इस वर्षा में भी बुझने नहीं पा रहा ।
शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं ने माँ नर्मदा की गोद में उतरकर पवित्र स्नान किया और स्नान-दान से पुण्य अर्जित किया। वर्षा की बूँदें मानो भक्तों के साथ मिलकर नर्मदा स्नान की महिमा गा रही है ।
पर्यटन पर असर पर वादियाँ बनीं सौंदर्य का मंदिर
असमय हुई इन वर्षा की धाराओं ने पर्यटन कारोबार को प्रभावित भी किया है। प्रायः कार्तिक मास में पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री अमरकंटक पहुँचते हैं, किंतु इस बार यात्रियों के मन में वर्षा की बाधाओं से घिर जाने का संशय है।
फिर भी प्रकृति का सौंदर्य इन शंकाओं पर भारी पड़ रहा है। हरी-भरी वादियों में लिपटी धुंध, झरनों की गूंज और नर्मदा की कलकल धारा इस नगरी को स्वर्गिक स्वरूप प्रदान कर रही है।
अमरकंटक का अमर रस आज की बरसात केवल मौसम का परिवर्तन नहीं बल्कि प्रकृति का आशीष है। अमरकंटक की हवाएँ भिगोई हुई मिट्टी की महक में रची-बसी हैं। आकाश से गिरती बूँदें यहाँ की भूमि को पवित्रता का वरदान दे रही हैं। इस बरसात ने अमरकंटक को केवल भौतिक रूप से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी आलोकित कर दिया है।
इस समय की वर्षाकाल को स्वामी श्रीमहंत रामभूषण दास जी महाराज ने बयां करते हुए कहा कि घने बादलों के आगमन से पर्वत श्रृंखलाओं पर छाई धुंध , नर्मदा तटों पर उठती मंद सुगंध और वनांचल में गूंजते मेघों के स्वर , मानो प्रकृति स्वयं संगीत की लहरियों में झूम उठी हो । अमरकंटक की पवित्र धरा को हरियाली , ताजगी और जीवन का स्पंदन प्रदान कर रही है । पर्यटक और श्रद्धालु इस अदभुत दृश्य से अभिभूत होकर प्रकृति के अनुपम सौंदर्य का आनंद ले रहे है लेकिन इसके विपरीत देखा जाय तो यहां के व्यापारी बंधुओं का व्यापार ठंडे बस्ते में चला गया । अब बारिश पूरी तरह बंद होनी चाहिए ताकि जनता दीपावली आगमन पर अपना घर द्वार की साफ सफाई , लिपाई पोताई करा सके ।


