रायपुर

*मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आर्थिक सहायता से ग्राम पंचायत का एक छात्र खिलेश को डॉक्टर बनने आर्थिक संगठनों का सामना नहीं करना पड़ेगा मुख्यमंत्री हो तो ऐसा*

रायपुर ब्यूरो@

राज्य के जरूरतमंद होनहार बच्चों को इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई के लिए दी जा रही आर्थिक सहायता

रायपुर – रायपुर जिले के धरसीवां विकासखंड के ग्राम परसतराई का होनहार छात्र खिलेश को अब एमबीबीएस की पढ़ाई में आर्थिक संकटों का सामना नहीं करना पड़ेगा,अब उनका डॉक्टर बनने का सपना आसानी से पूरा हो सकेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खिलेश को मेडिकल के पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद की है। खिलेश ने इस वर्ष नीट की परीक्षा पास कर एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया है। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण मेडिकल की पढ़ाई शासन द्वारा मिली आर्थिक सहायता के बिना संभव नहीं था। साधारण परिवार से आने वाले खिलेश के पिता की आकस्मिक मृत्यु वर्ष 2013 में हो गई। जिसके बाद उनकी मां हीरामणी वर्मा ने घर और अपने दोनों बच्चों की जिम्मेदारियां संभाली।दिव्यांग हीरामणी ने अपने दोनों बच्चों की 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करवाई और उनको उच्च शिक्षा के लिए तैयार भी किया।वर्तमान में खिलेश का भाई सिविल इंजिनियरिंग की पढ़ाई जगदलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से कर रहा है वही खिलेश अपनी मेहनत से डॉक्टर बनने के सपने की ओर अपने कदम बढ़ा लिए है।

आर्थिक कठिनाईयों के कारण उसका परिवार मेडिकल कॉलेज का फीस वहन करने की चिंता थी। इस बात की जानकारी होने पर क्षेत्रीय विधायक श्रीमती अनिता योगेंद्र शर्मा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक यह बात पहुंचाई। मुख्यमंत्री जी ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्काल 4 लाख रुपए की राशि खिलेश के पढ़ाई और फीस के लिए जारी की।इससे खिलेश और उसके परिवार का सपना पूरा होने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य के जरूरतमंद होनहार बच्चों को इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। छात्र खिलेश वर्मा ने मुख्यमंत्री श्री बघेल को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आर्थिक संकटों की वजह से उनकी उच्च शिक्षा का शुल्क देना संभव नहीं हो पा रहा था,पर अब सहायता मिल जाने से मेडिकल की पढ़ाई आसानी से हो पाएगी।

इसी तरह खिलेश की मां हीरामणि कहती है कि खिलेश के पिता का भी सपना था की उनका बेटा डॉक्टर बने। उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों से बहुत सहारा मिला जिससे वह अपने दोनों बच्चों की 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करवा पाई। खिलेश ने अपनी लगन और मेहनत से नीट की परिक्षा तो पास कर ली पर हमें मेडिकल की फीस भरपाने में समस्या हो रही थी। जब मुख्यमंत्री तक यह बात पहुंची तो उन्होंने तुरंत फीस के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की। जिसके लिए वह उनका बहुत बहुत आभार व्यक्त करतीं हैं।

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