
*भाटापारा दाल मिल में लगी भीषण आग*

*भाटापारा ग्लोबल न्यूज जुगल किशोर तिवारी की रिपोर्ट**दाल मिल में लगी भीषण आग, करोड़ों रुपए की दाल और बेसन का हुआ नुकसान*
भाटापारा 12 जनवरी/ शहर से लगे ग्राम सूरजपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित शीतल पल्सेस बेसन एवं दाल मिल में रविवार सुबह अचानक भीषण आग लग जाने के कारण करोड़ों रुपये का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है । भाटापारा के सूरजपुरा मार्ग स्थित शीतल पल्सेस दाल मिल में रविवार को अचानक भीषण आग लग गई । आग लगने का कारण अज्ञात बताया जा रहा है , मिल संचालक ने करोड़ों रुपए के दाल और बेसन के नुकसान की आशंका जताई है । आग लगने के बाद मिल में रखे दाल और बेसन भारी मात्रा में जल कर खाक हो गई है । स्थानीय लोगों और दाल मिल संचालक राकू मंधान की सूचना पर मौके पर पहुंची दमकल की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाने की कोशिश की , हालांकि आग लगने का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है और पुलिस इसकी जांच कर रही है । मिल के संचालक राकू मंधान ने बताया कि आग से करोड़ों रुपये का दाल और बेसन जलकर खाक हो गया है । घटना के दौरान मिल परिसर में मौजूद कर्मचारी सुरक्षित बताए गए हैं , इस हादसे से क्षेत्र के उद्योग जगत में हड़कंप मच गया है । घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया , पुलिस ने आग लगने के कारणों की जांच शुरू कर दी है । स्थानीय लोगों ने प्रशासन से प्रभावित मिल मालिक को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की मांग की है । ज्ञात हो कि पुरे जिला में भाटापारा क्षेत्र अनाज व्यवसाय एवं औद्योगिक क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध है , एवं बड़ी संख्या में दाल, पोहा और राइस मिल हैं । इस तरह से हादसा होने के कारण अब सभी मिलों में सुरक्षा इंतजाम पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं । साथ ही अब मिलों की सुरक्षा व्यवस्था पर स्थानीय लोगों ने सवाल उठाए हैं । स्थानीय मिलों में आग पर काबू पाने के लिए व्यापक इंतजाम नहीं हैं, मिलों में आग से बचाव के लिए फायर सेफ्टी उपकरण और व्यवस्थाएं अनिवार्य हैं । इनमें फायर एग्जिंग्विशर (पाउडर, सीओ 2, फोम बेस्ड), ऑटोमेटिक स्मोक और हीट डिटेक्टर, फायर अलार्म, और स्प्रिंकलर सिस्टम प्रमुख हैं । फायर हाइड्रेंट, इमरजेंसी एग्जिट, ग्लोइंग साइन बोर्ड, और फायर-रेसिस्टेंट दरवाजे आग फैलने से रोकते हैं । शॉर्ट सर्किट से बचाव के लिए सर्किट ब्रेकर और इलेक्ट्रिकल सेफ्टी उपकरण जरूरी है । गैस मास्क , फायर-रेसिस्टेंट गियर , और फर्स्ट-एड किट जैसे रेस्क्यू उपकरण आवश्यक हैं । नियमित फायर ड्रिल और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर आपात स्थिति में नुकसान कम किया जा सकता है । लेकिन ऐसा यहां कुछ भी नहीं होता , जबकि संबंधित विभाग को इस ओर विशेष ध्यान देकर जान माल की सुरक्षा करने का जिम्मेदारी होती है ,और समय-समय पर इस सुविधा का निरीक्षण करते रहना जरूरी होता है । यही वजह है कि आज जब आग लगी तो आग पर काबू पाने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा । जिसका खामियाजा करोड़ों के नुकसान से उठाना पड़ा ।
