
*अमरकंटक गणेश धुना से पंचकोशी मैकल परिक्रमा हुआ प्रारंभ* ,
*अमरकंटक ग्लोबल न्यूज श्रवण उपाध्याय की रिपोर्ट*
*अमरकंटक गणेश धुना से सप्त दिवसीय पंचकोशी मैकल परिक्रमा हुआ प्रारंभ* ,
*नर्मदा उद्गम स्थल में पूजन-अर्चन के साथ हुआ आरंभ* ,
*तपस्वी संत 1008 भगवान दास जी महाराज के नेतृत्व में हजारों श्रद्धालु झांकी लेकर निकले पैदल परिक्रमा पर*
अमरकंटक– मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली/पवित्र नगरी अमरकंटक के गणेश धुना के प्रमुख संत स्वामी भगवान दास जी की अगुवाई में कार्तिक मास की पूर्णिमा के पावन अवसर पर पतित पावनी मां नर्मदा जी के उद्गम स्थल कुंड से सप्त दिवसीय पंचकोशी मैंकल धाम परिक्रमा यात्रा का हुआ शुभारंभ । आज बुधवार 05 नवंबर 2025 को धार्मिक विधि-विधान से पूजन-अर्चन एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ यात्रा प्रारंभ । इस अवसर पर तपस्वी संत 1008 *भगवान दास जी महाराज* के संयोजकत्व एवं नेतृत्व में हजारों की संख्या में भक्त , श्रद्धालु , अनुयायी और समर्थक सम्मिलित हुए । परिक्रमा यात्रा का आयोजन पंचकोशी मां नर्मदा मैकल परिक्रमा समिति , अमरकंटक के तत्वावधान में किया जा रहा है ।
*परमहंस संत 1008 सीताराम जी महाराज के संरक्षण में यात्रा*
यह सप्त दिवसीय पवित्र परिक्रमा परमहंस संत 1008 श्री सीताराम जू महाराज के संरक्षण एवं आशीर्वाद में प्रारंभ की गई । यात्रा संयोजक तपस्वी संत 1008 बाबा भगवान दास जी महाराज (गणेश धुना आश्रम) अमरकंटक के तत्वाधान में पिछले वर्ष से आरम्भ किया गया हैं , यह द्वितीय वर्ष यात्रा का आयोजन प्रारंभ किया गया है । पंचकोशी मैंकल परिक्रमा का यह धार्मिक आयोजन अमरकंटक धाम की दिव्यता और माँ नर्मदा के आशीष से ओत-प्रोत रहता है ।
*पांच कोस की यात्रा सप्त दिवस में होगी पूर्ण*
यह पवित्र परिक्रमा पांच कोस (लगभग 20 किमी) की दूरी को सप्त दिवस में पूर्ण करेगी । यह यात्रा 5 नवंबर (कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा , अश्विनी नक्षत्र) से प्रारंभ होकर 11 नवंबर (अगहन कृष्ण पक्ष सप्तमी , पुख नक्षत्र) को गणेश धुना आश्रम में हवन , पूजन-अर्चन और विशाल भंडारे के साथ संपन्न होगी ।
*देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल*
इस दिव्य यात्रा में मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , उत्तर प्रदेश , पश्चिम बंगाल , महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेश और देश के विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु शामिल होते हैं । विशेष बात यह है कि इस वर्ष परिक्रमा यात्रा में जर्मनी से आए कई भक्त श्रद्धालु भी सहभागी बने हैं , जिन्होंने मां नर्मदा के प्रति गहन भक्ति और श्रद्धा व्यक्त की है ।
*उद्गम कुंड पर शास्त्रोक्त पूजन-अर्चन*
यात्रा का शुभारंभ नर्मदा उद्गम स्थल कुंड में वैदिक विधि-विधान से हुआ । नर्मदा मंदिर के पुजारी पं. उमेश द्विवेदी (बंटी महाराज) ने शास्त्रोक्त मंत्रोच्चारण के साथ मां नर्मदा का पूजन-अर्चन कराया । उसके बाद परिक्रमा यात्रा हर-हर नर्मदे के जयघोष के साथ शुभारंभ हुई ।
*भजन-कीर्तन और उत्साह का वातावरण*
परिक्रमा यात्रा के दौरान परिक्रमा वासी भक्त भजन-कीर्तन , मंगलगान , नृत्य और हरि-स्मरण में लीन होकर आगे बढ़ते चलते रहे । पूरे मार्ग में श्रद्धा , उल्लास और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला । नर्मदा तट के प्राकृतिक सौंदर्य के बीच जब भक्तों की टोलियाँ “जय नर्मदे हर” के उद्घोष करती चलीं , तो सम्पूर्ण वातावरण नर्मदा-मय हो उठा ।
*11 नवंबर को होगा भव्य समापन*
संत भगवान दास ने बताया कि यह सप्त दिवसीय पंचकोशी मैकल धाम परिक्रमा यात्रा 11 नवंबर 2025 मंगलवार को गणेश धुना आश्रम में भव्य पूजन , हवन एवं भंडारे के साथ संपन्न होगी । इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं के सम्मिलित होने की संभावना है ।
धार्मिक महत्व
पंचकोशी मैकल पर्वत धाम परिक्रमा को नर्मदा महात्म्य में अत्यंत फलदायी एवं मोक्षदायिनी बताया गया है । मान्यता है कि नर्मदा उद्गम की परिक्रमा करने मात्र से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और मनुष्य को शिवलोक की प्राप्ति होती है ।

