
*अधिकारियों पर भारी उपसरपंच सचिव*

गौरेला पेंड्रा मरवाही कृष्णा पांडे की रिपोर्ट
*शासन में बैठे सभी जिम्मेदार अधिकारी दोषियों के सामने बौने या नतमस्तक*
*शासकीय सामानों और 700 बच्चो के पोशाको की हेराफेरी… एसडीएम आदेश के 9 महीने बाद भी कोई कार्यवाही नहीं..*
*दर्ज होना था एफआईआर, शासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों पर सवालिया निशान..*
गौरेला पेंड्रा मरवाही: नवनिर्मित जिले में राज्य सरकार की योजनाएं धरातल पर दम तोडती नजर आ रही है इसकी मुख्य वजह राज्य सरकार की योजनाएं नही बल्कि जिला में बैठे शीर्ष अधिकारियों की उदासीनता है जिसका फायदा भ्रष्टाचार में डूबे अधिकारी और कर्मचारी उठा रहे है, दोषी पाए जाने पर भी कड़ी कार्यवाही के ना होने से ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों के हौसले बुलंद होते जा रहे है।
जिले के गौरेला जनपद पंचायत अन्तर्गत ग्राम पंचायत सेमरा में लाखों का घालमेल करने वाले जांच में दोषी उपसरपंच तूफान सिंह व तराईगांव सचिव किशन राठौर के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसमे सेमरा सरपंच व जिला अध्यक्ष महिला कांग्रेस कमेटी श्रीमती गजमती भानु ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर दोषी उपसरपंच व सचिव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कड़ी कार्यवाही की मांग की है।
गौरतलब है की जिले में बड़े अधिकारियों के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा हैं। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। जनपद पंचायत गौरेला की ग्राम पंचायत सेमरा के प्रा०शा० गुरूकुल विद्यालय भवन को उपसरपंच तूफान सिंह एवं पंचायत सचिव किशन राठौर द्वारा बिना शासकीय आदेश व सरपंच के जानकारी के बिना भवन को उजाड़कर भवन में लकड़ी, छप्पर व 65 नया टीन का चादर कीमत लगभग 1.50 (लाख) एक लाख पचास हजार रूपये, साथ ही एक कमरा जो शील किया गया था, जिसमें सात कार्टुन जब्ती के पोषक 700 नग जो प्राथमिक व माध्यमिक शाला में वितरण का था, उसे भी इनके द्वारा हेराफेरी किया गया है। जिसपर शिकायत पर जांच भी हुआ, जांच में उपसरपंच और सचिव दोषी पाए गए लेकिन उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
*श्रीमती गजमती भानु जिला अध्यक्ष महिला कांग्रेस कमेटी, सरपंच ग्राम पंचायत सेमरा*
जिला अध्यक्ष ने कहा की मेरे द्वारा कार्यवाही करने के लिए कलेक्टर, जिला पंचायत, अनुविभागीय अधिकारी तथा जनपद पंचायत पेण्ड्रारोड को कई बार आवेदन और निवेदन कर चुकी हैं किन्तु कार्यवाही नही हुई मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि शासन में बैठे सभी जिम्मेदार अधिकारी दोषियों के सामने बौने हो गये है, या फिर नतमस्तक है। यदि कार्यवाही 07 दिवस के भीतर नहीं की गई तो संबंधित जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया जायेगा