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*रक्षा मंत्रालय की जमीन पर ग्रामीणों एवं रसूखदार का कब्जा*

*कोटा ग्लोबल न्यूज रामनारायण यादव की रिपोर्ट*

करगी रोड़ कोटा समाचार मोहन भाटा अमने पीपरतराई  टांडा भरारी यहां पर ब्रिटिश शासनकाल के समय की हवाईपट्टी थी। उस दौरान 472.49 एकड़ जमीन रक्षा मंत्रालय के रक्षा संपदा विभाग के नाम पर दर्ज की गई थी। युद्ध के बाद वायुसेना की फोर्स यहां से हटा ली गई थी। उसके बाद से जमीन ऐसी ही पड़ी है। धीरे-धीरे इस पर ग्रामीणों ने कब्जा करना शुरू कर दिया है। सन् 1986-87 के राजस्व रिकॉर्ड में यह जमीन 472 एकड़ की बताई जा रही है, जिसमें पीपरतराई, मोहनभाठा, भरारी, अमने और टाडा गांव की जमीन शामिल है। अधिकांश जमीन पर अब कब्जा हो गया है। ग्रामीण वहां खेती तो कर ही रहे हैं। भूमाफिया सक्रिय हैं। जमीन के कई बड़े हिस्से को उन्होंने घेर लिया है। इधर दलाल भी जमीन की खरीद फरोख्त करा रहे हैं।

70 साल बाद भी निर्माण के अवशेष, हवाई पट्टी पर धान खरीदी केंद्र टांडा मैं सेवा सहकारी समिति के नाम पर खोल दिया गया है
इसी कड़ी टाडा बस्ती से लगा हुआ तलाव के सामने गौचर भूमि पर कब्जा  कुछ ग्रामीणों के द्वारा  एवं सेवा सहकारी समिति धान केन्द्र के कंप्यूटर ऑपरेटर चित्रकांत कौशिक  के द्वारा भी कर लिया गया है । पूछे जाने पर लगानी जमीन है  बोल कर  कहा जाता है कौशिक के द्वारा बताया गया है। वह एक करीबी नेता का रिश्तेदार हूं मेरा कुछ  भी नहीं हो सकता है उसके द्वारा कहा जाता है। इसके अलावा बिलासपुर के कुछ रसूखदार का भी कब्जा है अधिकारियों की अनदेखी का नतीजा अवैध कब्जा

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