छत्तीसगढ़भाटापारासंपादक हरीश चौबेसबसे पहले सबसे आगे न्यूज

*सड़कों पर घूमते आवारा सांड बने खतरा, लोग घरों से निकलने में डरने लगे*

*भाटापारा ग्लोबल न्यूज जुगल किशोर तिवारी की रिपोर्ट*

*गौवंश के जमावड़े से त्रस्त शहर, सांडों के हमले से दहशत में भाटापारा*

*सड़कों पर घूमते आवारा सांड बने खतरा, लोग घरों से निकलने में डरने लगे*

भाटापारा 13 नवंबर/ एक ओर देश में “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” का नारा गूंजता है, वहीं दूसरी ओर भाटापारा शहर में सड़कों पर विचरते आवारा गौवंश और सांडों का आतंक लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सर्वोच्च स्थान रखने वाली गौमाता की दुर्दशा अब शहर की सड़कों पर साफ नजर आ रही है — कचरे के ढेर में भोजन तलाशते और ट्रैफिक के बीच भटकते ये मूक प्राणी न केवल खुद खतरे में हैं बल्कि आमजन के लिए भी जानलेवा साबित हो रहे हैं।

हर गली-सड़क पर सांडों का जमावड़ा, आए दिन घायल हो रहे लोग  :
     शहर की लगभग हर गली और सड़क पर अब गौवंश का जमावड़ा आम दृश्य बन गया है। खासकर सांडों की आपसी लड़ाई ने स्थिति और भयावह कर दी है। आए दिन सांडों के हमले में लोग घायल हो रहे हैं। नागरिकों के अनुसार, सड़कों पर चलते समय यह डर बना रहता है कि कब कोई सांड हमला कर दे। कई बार तो लोग सड़कों से गुजरने में भी हिचकिचा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि शहर प्रशासन और नगर पालिका द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। शिकायतें कई बार की गईं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

गौपालकों की संवेदना जरूरी :
      विशेषज्ञों का मानना है कि भाटापारा में विचरने वाले हजारों गौवंशों में से अधिकांश के मालिक मौजूद हैं, फिर भी उन्हें सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। अगर गौपालक स्वयं जिम्मेदारी निभाएं और अपने पशुओं के प्रति संवेदनशील बनें, तो इस समस्या का समाधान काफी हद तक संभव है।  शहरवासियों का कहना है कि सांडों के लिए अलग प्रबंधन और गौशालाओं के विस्तार की दिशा में पहल की जानी चाहिए, ताकि ये मूक प्राणी सड़कों पर भटकने के बजाय सुरक्षित आश्रय पा सकें।
शासन-प्रशासन से अपेक्षा :
      जनता की मांग है कि नगर निगम और प्रशासन इस मुद्दे पर तत्काल कार्ययोजना बनाकर कार्रवाई करे, ताकि शहर में आवारा गौवंश के कारण हो रहे हादसे और भय की स्थिति पर रोक लग सके।
    ‘गौवंश हमारी आस्था का प्रतीक हैं, लेकिन सड़कों पर उनकी उपस्थिति अब खतरे का कारण बन गई है। प्रशासन और नागरिक दोनों को इस दिशा में जिम्मेदारी निभानी होगी। स्थानीय नागरिक

Latest news