
*डॉ अतुल कुमार सोनी पीएचडी की उपाधि से सम्मानित*

*भाटापारा ग्लोबल न्यूज जुगल किशोर तिवारी की रिपोर्ट*****
भाटापारा 3 जुलाई/डॉ. अतुल कुमार सोनी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटी कानपुर) के 58वें दीक्षांत समारोह में अपनी पीएच.डी. उपाधि प्राप्त की, जहां उन्हें पावर सिस्टम प्रोटेक्शन के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए श्रेष्ठतम पीएच.डी. थीसिस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा और डीआरडीओ-एसएसपीएल की निदेशक डॉ. मीना मिश्रा की गरिमामयी उपस्थिति में प्रदान किया गया।
डॉ. सोनी के शोध कार्य का शीर्षक “ए.सी. माइक्रोग्रिड्स के लिए नवीन अनुकूली रिलेइंग तथा सुरक्षा समन्वयन योजनाएं” है, जो नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित आधुनिक पावर सिस्टम की जटिल चुनौतियों से प्रेरित रहा। भारत में विद्युत उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी वर्ष 2030–31 तक लगभग 40% से बढ़कर 65% से अधिक होने का अनुमान है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह लक्ष्य 2050 तक 80% से भी ऊपर पहुँचने की संभावना है। इस तीव्र परिवर्तन ने माइक्रोग्रिड्स के विकास को बढ़ावा दिया है, किंतु परंपरागत सुरक्षा प्रणालियाँ, जो केंद्रीकृत नेटवर्क एवं एकदिशीय पावर फ्लो के लिए विकसित की गई थीं, अब इन जटिलताओं और परिवर्तनों का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। इसी महत्वपूर्ण आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए डॉ. सोनी ने ऐसे नए सुरक्षा तंत्र विकसित करने पर शोध किया, जो नवीकरणीय ऊर्जा-समृद्ध माइक्रोग्रिड्स में सुरक्षित, विश्वसनीय और निरंतर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कर सकें।
उनके शोध में ऐसे नवीन अनुकूली रिलेइंग विधियों एवं सशक्त सुरक्षा समन्वयन योजनाओं का विकास किया गया, जो वास्तविक समय में नेटवर्क की स्थिति के अनुरूप स्वयं को समायोजित कर सकें। ये विधियाँ द्विदिशीय पावर फ्लो, परिवर्ती शॉर्ट-सर्किट स्तर तथा गतिशील परिचालन अवस्थाओं जैसी चुनौतियों का समाधान करती हैं। प्रस्तावित विधियों का कठोर परीक्षण एवं सत्यापन आईईईई 13-बस और 34-बस टेस्ट फीडर, CIGRE मीडियम-वोल्टेज बेंचमार्क माइक्रोग्रिड तथा रियल-टाइम डिजिटल सिम्युलेटर जैसे उद्योग-स्तरीय प्लेटफॉर्म पर कंट्रोलर हार्डवेयर-इन-लूप सिमुलेशन के माध्यम से किया गया।
डॉ. सोनी के शोध को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक सराहना मिली है। उनके कार्य को अमेरिका के जॉर्जिया टेक प्रोटेक्टिव रिलेइंग कॉन्फ्रेंस में क्लेयन ग्रिफिन बेस्ट स्टूडेंट पेपर अवार्ड से सम्मानित किया गया, जो पावर सिस्टम प्रोटेक्शन के क्षेत्र में विश्व का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है। इसके अतिरिक्त उन्हें ग्रिड-इंडिया पावर सिस्टम्स अवार्ड (जीआईपीएसए) प्रदान किया गया, जो भारत में पावर सिस्टम के क्षेत्र में उत्कृष्ट शोध कार्य को मान्यता देता है। उन्होंने डीएसटी, भारत सरकार द्वारा प्रदत्त AWSARं पुरस्कार भी प्राप्त किया, जो विज्ञान लेखन में उत्कृष्टता का प्रतीक है। साथ ही उन्हें स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन में नवाचार और व्यावहारिक प्रभाव के लिए सम्मानित किया गया।
अपने शोध यात्रा पर विचार करते हुए डॉ. सोनी ने इसे व्यावसायिक और व्यक्तिगत रूप से अत्यंत रूपांतरकारी अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि एक पीएच.डी. करने में धैर्य, जिजीविषा और असफलताओं के बावजूद लगातार आगे बढ़ने का साहस चाहिए। उन्होंने विभागाध्यक्ष प्रो. ए.आर. हरीश द्वारा पहले ही दिन कही गई बात को याद किया: “पीएच.डी. केवल एक डिग्री नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है।” उन्होंने कहा कि आईआईटी कानपुर का कठोर शैक्षणिक वातावरण और उच्च मानक उनके दृष्टिकोण को परिष्कृत करने में निर्णायक रहे।
उन्होंने अपने मार्गदर्शक प्रो. अभिजीत महापात्र और प्रो. श्री निवास सिंह के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया, जिनके निरंतर मार्गदर्शन और प्रोत्साहन ने उन्हें अपने विचारों को और परिष्कृत करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि प्रो. महापात्र द्वारा दिया गया यह उपदेश—“अच्छा और फलदायी शोध करने के लिए चलते-फिरते, खाते-पीते और यहां तक कि सोते समय भी शोध के बारे में सोचो”—उनके लिए सदैव प्रेरणा स्रोत बना रहा। डॉ. सोनी ने अपने मित्रों और सहयोगियों डॉ. अनामिका तिवारी, डॉ. सुनील कुमार मौर्य, हिमांशु गुप्ता, निवेदिता सिंह, मुकेश मौर्य और सुगंध प्रताप सिंह सहित अनेक साथियों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने कठिन समय में भी साथ निभाया और सहयोग किया।
उन्होंने कहा कि आईआईटी कानपुर उनके लिए एक अत्यंत विशेष स्थान रहा, जहाँ उन्होंने केवल अकादमिक रुचियों की खोज ही नहीं की, बल्कि जीवन भर के लिए मित्रता और यादें भी संजोयीं। उन्होंने संकाय सदस्यों, प्रशासनिक कर्मचारियों और उन सभी कर्मचारियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की, जिनके सतत प्रयासों से यह संस्थान जीवंत और सहयोगी वातावरण बना रहता है। मूल रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर के पास स्थित छोटे से नगर भाटापारा से आने वाले डॉ. सोनी ने अपना शोध अपने पिता राकेश कुमार सोनी, माता सरिता सोनी और भाई रजत सोनी को समर्पित किया और कहा कि उनके निरंतर समर्थन और प्रोत्साहन के बिना यह उपलब्धि संभव नहीं होती। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनके लिए एक ऐसी यात्रा का समापन है, जिसने उन्हें व्यावसायिक रूप से समृद्ध और व्यक्तिगत रूप से परिपक्व बनाया, और वह उन सभी के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने इस मील का पत्थर हासिल करने में योगदान दिया।