
*गिरते जल स्तर के निदान के लिए वाटर हार्वेस्टिंग अनुपालन अभियान*
*भाटापारा ग्लोबल न्यूज जुगल किशोर तिवारी की रिपोर्ट**

*जल संचय के प्रति उदासीनता विडम्बनामय पायदान*
*सरयू साहित्य द्वारा चलाया जाएगा जागरण अभियान*
*गिरते जल स्तर के निदान के लिए वाटर हार्वेस्टिंग अनुपालन अभियान*
भाटापारा 17 अप्रैल/बदलते समय के साथ आवश्यकताएं बढ़ी सुविधाओं मे परिवर्तन आया नित नये इजादों की सौगात भी मिलती चली गयी,पगडंडियों की जगह चमचमाती सड़कों ने ले ली,संचार का माध्यम चिठ्ठी पत्री के युग से निकलकर इंटरनेट की दुनियां मे पंहुच गयी,घर बैठे दुनियां के किसी भी कोने मे संपर्क सरल एवं सहज हो गया,यातायात साधनों की रफ्तार ऐसी बढ़ी कि दुनियां अब छोटी नजर आने लगी है,इसी तरह सभी प्रकल्पों मे सुविधाओं मे क्रांतिकारी बदलाव के दर्शन होतें है,लेकिन इन बदलावों के बदले ऐसी भी कुछ प्राप्ति हो रही है जो एक बड़ी चुनौती के रुप मे प्रकट होती हुई प्रतीत हो रही है।
*प्रकृति के स्वरुप मे बदलाव के दर्शन*
आधुनिकता के इस युग मे जहां सुख सुविधाओं एवं आवश्यकताओं के माध्यम मे तीव्र गति से बदलाव आया वहीं इस बदलाव मे प्रकृति को भारी कीमत भी चुकानी पड़ रही है,वातावरण के परिदृश्य बदलते हुए नजर आ रहें है,प्रदूषण आज एक बड़ी समस्या के रुप मे प्रकट हो रही है, वृक्षों की कटाई वातावरण मे कई तरह की विडम्बनाओ को जन्म दे रही है,हालांकि इस दिशा मे जगह जगह जागरुकता एवं संरक्षण के अभियान भी चल रहें है तथा पौधारोपण एक आवश्यक अनुष्ठान के रुप मे भी परिवर्तित हो गयी है, लेकिन विडम्बनाएं अभी बढ़ोत्तरी के क्रम मे ही नजर आ रही है।
*जलसंकट की उत्पन्न होती विकट स्थिति*
आधुनिकता के साए मे बहुत सारी विडम्बनाएं पैर पसार रहीं है,लेकिन अब प्रत्यक्ष एवं दुखदायी ऐहसास कुछ विडम्बनाओ के जरिए स्पष्ट रुप से होना शुरु हो गया है,जिसमें धरा का गिरता जल स्तर प्रमुख है,गौरतलब है कि चंहुओर बढ़ते क्रकीटीकरण से एक तरह से धरती पर सीमेंट की चादर बिछ गयी है,जिसका दुष्प्रभाव यह हो रहा है कि धरती के गर्भ मे जल पर्याप्त नही पंहुच रहा है,साथ ही साथ वनों की होती निरंतर कटाई भी जल स्त्रोत के सूखने का कारण बन रही है,जिसके चलते दिनों दिन धरती का जलस्तर गिरावट मे नजर आ रहा है,जिसकी बानगी इस वर्ष स्पष्ट रुप से परिलक्षित हो रही है,भाटापारा के नजरिए से देखा जाए तो गिरते जल स्तर के हालात विकट नजर आ रहें है,उपरोक्त परिस्थतियों के मद्देनजर आज जल संचय जैसे प्रक्रिया की नितांत आवश्यकता है लेकिन इस दिशा मे भी उदासीनता के पुट परिलक्षित होते है।
*सरयू साहित्य चलाएगा जागरण अभियान*
समय समय पर विभिन्न आयोजनों अभियानों के माध्यम से संस्कृति संस्कार एवं जनमानस से जुड़ी विभिन्न आवश्यकताओं के लिए निरंतर सक्रिय सरयू साहित्य परिषद द्वारा जल संकट की ज्वलंत परिस्थिति को महसूस करते हुए अभियान प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है जिससे भविष्य मे इस पीड़ा से मुक्ति मिल सके,जिसके तहत परिषद द्वारा जनमानस के बीच जल संचय की प्राथमिकता स्थापित करने के लिए जागरण अभियान छेड़ने का निर्णय लिया गया है,सरयू साहित्य परिषद के अध्यक्ष गौरीशंकर शर्मा द्वारा बताया गया कि अभियान के तहत विभिन्न माध्यमों से वाटर हार्वेस्टिंग प्रक्रिया के अनुपालन के लिए जनमानस को प्रेरित किया जाएगा और जल संचय मे जनमानस की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा,जिससे धरती के गिरते जल स्तर पर लगाम लग सके एवं भविष्य मे जल संकट की समस्या से मुक्ति मिल सके।