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*गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और बिलासपुर वनमंडल के जंगलों में भीषण आग, वन विभाग बेखबर*

*खोगसरा ग्लोबल न्यूज प्रदीप शर्मा की रिपोर्ट*

ग्लोबल न्यूज लाइव

*गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और बिलासपुर वनमंडल के जंगलों में भीषण आग, वन विभाग बेखबर*

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही/बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और बिलासपुर वनमंडल के घने जंगलों में आग तेजी से फैल रही है। खोडरी, खोंगसरा, जोबाटोला, केंवची के जंगलों में आग की लपटें तेज़ हो चुकी हैं, जिससे पूरे वन क्षेत्र और वन्यजीवों पर संकट मंडरा रहा है। अगर आग पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो यह मैकल पर्वत श्रृंखला और अमरकंटक के जंगलों तक पहुंच सकती है।

वन विभाग को नहीं है जानकारी, फायर वॉचर भी नाकाम

वन विभाग हर साल लाखों रुपये खर्च कर फायर वॉचर तैनात करता है, लेकिन इस बार भी ये व्यवस्था फेल होती दिख रही है। स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन तेज़ लपटों के कारण इसे रोकना बेहद कठिन हो गया है।

जंगल की जैव विविधता पर बड़ा खतरा

इस आग से पूरे जंगल की जैव विविधता प्रभावित हो रही है। अचानकमार टाइगर रिजर्व और आसपास के जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों पर संकट बढ़ गया है।

जंगल में रहने वाले बाघ, तेंदुआ, भालू, सांभर, चीतल, जंगली सूअर और अन्य वन्यजीवों का जीवन खतरे में है।

दुर्लभ पक्षी प्रजातियों के घोंसले और अंडे नष्ट हो सकते हैं।

जंगल की हजारों औषधीय और दुर्लभ वनस्पतियां राख में बदल रही हैं।


आग लगने के कारणों पर सवाल

सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप कुमार शर्मा के अनुसार, जंगल में आग लगने के पीछे कई कारण हो सकते हैं—

1. मानवजनित आग:

कुछ लोग तेंदू पत्ता और मौहा फूल संग्रह करने के लिए जंगल में आग लगाते हैं, जिससे नए पत्ते जल्दी उगते हैं।

पर्यटकों की लापरवाही— जंगल में पिकनिक मनाने वाले आग जलाते हैं और सही से बुझाए बिना छोड़ देते हैं।

2. प्राकृतिक कारण:

गर्मी में जंगल की नमी खत्म हो जाती है, जिससे सूखी घास और पत्तियों में मामूली चिंगारी भी आग का कारण बन सकती है।

पुराने बिजली के तारों से गिरने वाली चिंगारी भी आग फैला सकती है।


वन विभाग और प्रशासन की नाकामी

अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हर साल जंगलों में आग लगती है, लेकिन इसे रोकने के लिए कोई प्रभावी योजना नहीं बनाई गई।

क्या करने की जरूरत?

वन विभाग को फायर ब्रिगेड और हेलीकॉप्टर से पानी गिराने जैसी व्यवस्था तुरंत करनी चाहिए।

जंगलों में फायर ब्रेक (आग रोकने के लिए बनाए जाने वाले मार्ग) तैयार किए जाने चाहिए।

पर्यटकों और स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाए और आग लगाने वालों पर जुर्माना लगाया जाए।

जंगल में अत्याधुनिक कैमरों और सेंसर लगाए जाएं, ताकि आग लगते ही तुरंत जानकारी मिले।


गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और बिलासपुर वनमंडल में लगी आग मानव लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का नतीजा है। यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया, तो यह पूरे क्षेत्र की जैव विविधता और पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। वन विभाग और प्रशासन को जल्द से जल्द आपातकालीन कदम उठाने की जरूरत है।

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