
*शिक्षिका को बच्चों को पढ़ाने की ऐसी लगन की रोजाना नाला पार करके जाती है*
बच्चों को पढ़ाने की ऐसी लगन
*बिप्लब–कुंडू की रिपोर्ट*
*पखांजुर-ग्लोबल न्यूज़*
*पहले कमर तक पानी भरे नाले को करतीं पार फिर तीन किमी चलतीं पैदल
लक्ष्मी नेताम पिछले 15 सालों से रोजाना नदी-नालों को पार कर छात्रों को पढ़ाने के लिए स्कूल जाती हैं। लक्ष्मी नेताम 2008 में शिक्षिका बनी थीं। उनकी पहली पोस्टिंग कोयलीबेड़ा के अंदरूनी गांव केसेकोड़ी में हुई।कहते हैं जब हौसले बुलंद हों, तो पहाड़ भी मिट्टी का ढेर लगता है। कांकेर जिले में शिक्षिका लक्ष्मी नेताम के हौसले ने यह सच साबित कर दिखाया है। उनके हौसले के आगे हर कठिनाई छोटी नजर आती है। लक्ष्मी पानी से लबालब भरे नाले को बिना पुल और नाव के पार कर तीन किलोमीटर पैदल चलकर छात्रों का पढ़ाने के लिए जाती हैं। बच्चों को शिक्षा देने की उनकी इस लगन को देखता है तो उनकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाता।
लक्ष्मी नेताम पिछले 15 सालों से रोजाना नदी-नालों को पार कर पढ़ाने के लिए स्कूल जाती हैं। लक्ष्मी नेताम 2008 में शिक्षिका बनी थीं। उनकी पहली पोस्टिंग कोयलीबेड़ा के अंदरूनी गांव केसेकोड़ी में हुई। उनके पति नारायणपुर जिले में पदस्थ हैं।
तीन किलामीटर पैदल सफर
शिक्षिका कोयलीबेड़ा से आठ किमी. दूर केसोकोड़ी स्कूल जाती हैं। यहां पहुंचने के लिए उन्हें पहले जंगल के रास्ते केसेकोड़ी नाला पार करना होता है, जहां पुल नहीं है। कमर तक पानी में चलकर नाला पार करती हैं। जिसके बाद आगे का तीन किमी वे पैदल तय करती हैं। बरसात में उफनते नाले को पार करने में खतरे के सवाल पर शिक्षिका लक्ष्मी नेताम ने कहा अगर मैं स्कूल नहीं पहुंची तो छात्र भी नहीं आएंगे। इससे उनकी शिक्षा का नुकसान होगा।
