
*सवारी गाड़ियों के ठहराव बंद होने से क्षेत्रवासी परेशान। ट्रेन नहीं तो वोट नहीं*
*बेलगहना ग्लोबल न्यूज* समूचे छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के गढ़ केन्दा 84 के रूप में जाना जाने वाला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैजो कि वर्तमान समय में लगभग 100 ग्रामों से जुड़ा हुआ जिसमें वन ग्राम भी शामिल है ।एक ऐसा ही स्टेशन है जहां से सैकड़ों यात्री बिलासपुर शहर से आना-जाना करते हैं वर्तमान समय में यहां सभी गाड़ियों के ठहराव को बंद करके यहां की जीवन रेखा रेल को मानव समाप्त कर दिया गया है जीवन थम सा गया है बच्चे पढ़ने के लिए महाविद्यालय नहीं जा पा रहे हैं कामगार रोजगार के लिए शहर नहीं जा पा रहे हैं किसान रोज उगने वाली सब्जियों को गांव में ही बेचने को मजबूर हैं, ट्रेन के आवागमन के अभाव में कई छोटे किसानों ने सब्जियों की खेती को ही बंद कर दिया है। यहां तक की मृतकों को गंगा पहुंचाने के लिए भी यहां से सीधी ट्रेन एवं सभी स्टेशन होते हुए कोई ट्रेन नहीं है , पहले सारनाथ , अमरकंटक, रीवा एक्सप्रेस सभी मुख्य ट्रेनों के ठहराव का एक महत्वपूर्ण स्टेशन था। किंतु आज कोई भी ट्रेन खड़ी नहीं हो रही है लोग असहाय दुखी हैं कई बार संबंधित विषय पर नेताओं के द्वारा हड़ताल की गई किंतु उसका भी परिणाम सिफर ही निकला आखिर इतने लंबे समय तक ट्रेनों के ठहराव को रोकने के पीछे सरकार की मंशा क्या है यह बात समझ से परे है लोग अपने बीमारी के लिए एवं किसी भी तरह की समस्या के लिए एक बहुत बड़ी धनराशि को खर्च करके शहर जाते हैं अतः लोगों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है दौड़ती हुई ट्रेन उनके ही स्टेशन से गुजर करो उन्हें चिढ़ाती है। लोग बेबस की तरह ठगा हुआ सा महसूस करते हैं, इस बारे में क्षेत्रीय सांसद माननीय अरुण साहू को भी क्षेत्रवासियों ने अवगत कराया लोकसभा में संसद द्वारा ट्रेनों के बारे में मामले को उठाया भी गया था इसके बाद भी शासन से किसी प्रकार का कोई संतुष्टि पूर्वक जवाब नहीं मिला क्षेत्र की जनता पूरे आक्रोश में है आने वाले विधानसभा चुनाव में ट्रेन नहीं तो वोट नहीं इस मुद्दे को कांग्रेस पार्टी आम जनमानस के पास जाकर सरकार की विफलता को लोगों को बताएगी इसका लाभ कांग्रेश को दिलाएगी समय रहते केंद्र सरकार को सभी ट्रेनों को सभी स्टेशनों में यथावत स्टॉपेज की कार्यवाही करनी चाहिए
