
*अवैध प्लाटिंग का कारोबार शुरू, बगैर अनुमति मुरुम सड़क बनाकर दिखा रहे प्लाट*
*कोरबा/पसान, ग्लोबल न्यूज़*
*अवैध प्लाटिंग का कारोबार फिर शुरू, बगैर अनुमति मुरुम सड़क बनाकर दिखा रहे प्लाट*
कोरबा/पसान: अवैध प्लाट कारोबारियों के हौसले बुलंद है, शहर से लेकर गांव तक अनुमति के बगैर जमीन की अफरा तफरी को अंजाम दिया जा रहा। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के बिना हजारों करोड़ की कृषि भूमि बेची जा रही। बगैर परमिशन मुरुम की सड़क बनाकर प्लाट कटिंग करने और बेचने का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। लेकिन जिला प्रशासन गंभीरता नहीं दिखा रही है। यही वजह है कि अवैध प्लाटिंग करने वालों का हौसला बुलंद हैं।
*पोड़ी उपरोड़ा अनुभाग अन्तर्गत पसान तहसील क्षेत्र के पसान कोरबा रोड में पेट्रोल टैंक के पास खसरा नं 175/2 रकबा 0.6230 भू स्वामी निर्माण जायसवाल के द्वारा इस खसरा नंबर के अलावा अन्य भी कई खसरे की भूमि को कम भाव पर प्लाट बेचने का लुभावना सपना दिखाकर खुलेआम अवैध प्लाटिंग का धंधा चल रहा है। शहर में जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं, इसलिए भू-माफिया प्लाट उपलब्ध कराने का लालच देकर लोगों को आसानी से अपना शिकार बना रहे हैं। जिन लोगों को ले आउट, डायवर्सन की जानकारी नहीं है, वह रोड पर कच्ची मुरुम की रोड, बाउंड्री से घिरे प्लॉट के झांसे में आकर अपने आशियाने के लिए जमा पूंजी लगा दे रहे हैं। अवैध प्लाटिंग को रजिस्ट्री का भी प्रश्रय है, जिसके चलते प्लाट काट-काट कर बेचने वाले बेजा कमाई कर रहे हैं।*
नियम जानते हैं, पर डायवर्सन नहीं
अवैध प्लॉटिंग करने वालों को इस बात की जानकारी होती है उनकी जमीन कृषि या कामर्शियल है। उसे आवासीय के रूप में बेचने के लिए डायवर्सन जरूरी है। तहसील दफ्तर में डायवर्सन के लिए रजिस्ट्री के दस्तावेज और आवेदन देकर डायवर्सन हो सकता है। इसका खर्च भी ज्यादा नहीं है। फिर भी, मुनाफा कम न हो, इसलिए खेत में ही प्लाट काटकर बिक्री।
यह प्रावधान लेकिन कार्रवाई नहीं
रजिस्ट्री शून्य, जमीन का अंतरण
बिना अनुमति व ले आउट प्लाटिंग अवैध माना जाता है। पंचायती राज अधिनियम की धारा 61 व भूमि का अधिग्रहण व प्रबंधन अधिनियम की धारा 292 ग एवं 292 (5) में ऐसे जमीन का अधिग्रहित कर शासकीयकरण का प्रावधान है। जमीन की चाहे प्रमाणीकरण भी करा लिया गया हो रजिस्ट्री शून्य घोषित कर शासन के पक्ष में राजसात किया जा सकता है।
*5 साल तक सजा का है प्रावधान*
बिना अनुमति व ले आउट की प्लाटिंग पंचायती राज अधिनियम 1993, नगर पालिक निगम अधिनियम 1956, छग भूमि विकास अधिनियम 1984 व ग्राम निवेश अधिनियम में अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में रजिस्ट्री शून्य घोषित करने और जमीन के शासकीयकरण के साथ 5 साल सजा व 5 लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है।


