खोंगसरा आमागोहन ग्लोबल न्यूजसंपादक हरीश चौबेसबसे पहले सबसे आगे न्यूज

*आदिवासी बालिका छात्रावास निर्माण में नींव  में  मिट्टी से भराई की जा रही है*

**खोगसरा  ग्लोबल न्यूज प्रदीप शर्मा की रिपोर्ट**

*खोंगसरा* 1.67 करोड़ की लागत से बन रहे बालिका छात्रावास की नींव में मिट्टी भराई गुणवत्ता पर सवाल??
सुशासन दिवस पर जनप्रतिनिधियों की मांग के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आदिवासी क्षेत्र में बालिका छात्रावास निर्माण की घोषणा की थी। इस परियोजना पर 1 करोड़ 67 लाख रुपए की लागत से काम जारी है। लेकिन अब निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

गंभीर लापरवाही : नींव में मिट्टी की भराई- जानकारी के अनुसार, भवन की नींव (फाउंडेशन) में जहां रेत या मुरुम की भराई होनी थी, वहां ठेकेदार ने मिट्टी डालकर पिलर पाटा है। यह तरीका भवन की मजबूती और सुरक्षा पर बड़ा खतरा माना जा रहा है।

सीईओ के निर्देश के बाद भी दोहराई गई गलती- विकासखंड स्तरीय जनसमस्या शिविर में जब मामला सामने आया तो जिला पंचायत सीईओ एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी संदीप अग्रवाल ने ठेकेदार को बेहतर गुणवत्ता से कार्य करने के निर्देश दिए। लेकिन अधिकारियों के लौटते ही ठेकेदार ने पुनः वही कार्य दोहराया।

ठेकेदार अजय यादव का पक्ष- ठेकेदार अजय यादव ने कहा –
“यहां की मिट्टी ही ऐसी है कि हमें अलग से रेत और मुरुम डालने की जरूरत नहीं है हालांकि हमने रेत डाली है, जिसकी फोटो और वीडियो उच्च अधिकारियों को भेजी गई हैं
जब उनसे पूछा गया कि क्या निर्माण से पूर्व मिट्टी की सैंपलिंग जांच कराई गई थी, तो उन्होंने जवाब दिया –
“यह प्रशासन का काम है। जरूरत पड़ने पर करा दिया जाएगा।” समय समय पर इंजीनियर आते हैं। आप उनसे भी पूछ सकते हैं।

उनके इस जवाब और रवैये ने काम की पारदर्शिता और गंभीरता पर और भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
सतीश जायसी(PWD इंजीनियर बिलासपुर)- की प्रतिक्रिया- हम प्रशासन के प्रावधान के अनुशार काम कर रहे है। वहां के मिट्टी में रेत की मात्रा है। जिसका उपयोग किया जा सकता है। हां और हमने मृदा परीक्षण के लिए भी सेंपल लिया है। रिपोर्ट आने के बाद काम चालू होगा। अलग से रेत और अन्य चीजों के किये बजट में प्रावधान नही है। इतने पैसे में सब कुछ करना आसान नही।

जनप्रतिनिधियों और स्थानीय प्रतिक्रियाएँ-
मंडल अध्यक्ष राजू सिंह राजपूत – “वर्षों की मांग के बाद मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की है। आदिवासी क्षेत्र के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। लेकिन कोई भी इमारत की नींव ही उसका सबकुछ होती है। ऐसे में शुरुआत में ही इस तरह के कार्य स्वीकार नहीं हैं। इसकी शिकायत  मुख्यमंत्री से की जाएगी।”

पंचायत प्रतिनिधि लोचन सिंह– “यह भवन बच्चियों के भविष्य से जुड़ा है, इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।”

सीईओ – “जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर ठेकेदार पर कार्रवाई सुनिश्चित होगी।”

प्रीतम चौधरी (उपसरपंच आमागोहन) – “यह सिर्फ गुणवत्ता की अनदेखी नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की शुरुआत है।”इस पर कार्यवाही हो। ऐसे नींव होगी। बच्चों के लिए खतरा हो सकता है।

इंजीनियरिंग मानक क्या कहते हैं?

नींव की खुदाई के बाद रेत/मुरुम की परत डालकर कम्पैक्ट किया जाना चाहिए।

उसके ऊपर प्लेन सीमेंट कंक्रीट (PCC) की परत बिछाई जाती है।

फिर RCC फुटिंग डालकर पिलर खड़ा होता है।

मिट्टी भरने से भवन में सेटलमेंट, नमी और दरारों का खतरा बढ़ जाता है।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं आर टी आई कार्यकर्ता- प्रदीप शर्मा-
आदिवासी क्षेत्रों में जितने भी विकास कार्य होते है उसमें भ्रस्टाचार होता ही है। क्योंकि अधिकारी और इंजीनियर कभी काम को झांकने आते ही नही। इसलिए पुल पुलिया बरसात में बह जाते है।। बच्चों के लिए बन रहे भवनों और सभी अधोसंरचना पर ध्यान देना जरूरी है। नही तो भविष्य में बड़ा हादसा हो सकता है।

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