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*एम्स की मदद से आईजीएनटीयू स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगा*

आईजीएनटीयू और एम्स रायपुर मिलकर
शोध और अनुसंधान करेंगे, एमओयू पर हस्ताक्षर किए

• सिकल सेल और जेनेटिक बीमारियां होंगी केंद्र में
• शिक्षक और शोधार्थी एक-दूसरे की सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे
• बायोटेक, फार्मेसी, योग और कैमेस्ट्री में मिलकर कार्य करने पर सहमति


अमरकंटक / श्रवण उपाध्याय

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकटंक ने शोध और अनुसंधान के लिए एमओयू पर सोमवार को आईजीएनटीयू में हस्ताक्षर किए। दोनों संस्थान सिकल सेल, किडनी संबंधी बीमारियों और जेनेटिक बीमारियों पर मिलकर कार्य करने के लिए सहमत हुए हैं।
एम्स रायपुर के कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) और आईजीएनटीयू के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने एमओयू पर सोमवार को हस्ताक्षर किए। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि कम उम्र में अधिक वृद्ध होना, कैंसर और किडनी संबंधी बीमारियां जनजातीय क्षेत्र में मुख्य चुनौती है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय योग, युवाओं को रोजगारन्मुख प्रशिक्षण देने, हर्बल मेडिसिन सहित कई क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय की लैब सहित सभी शोध और अनुसंधान संसाधनों का लाभ एम्स के शोधार्थियों को भी प्रदान करने की घोषणा की। दोनों संस्थान मिलकर योग, रसायन विज्ञान, बायोटेक्नोलॉजी और फार्मेसी के क्षेत्रों में कार्य करने के लिए सहमत हुए।
एम्स के कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल का कहना था कि एम्स और आईजीएनटीयू मिलकर आदिवासी क्षेत्रों की चुनौतियों का हल ढूंढ सकते हैं। उन्होंने कहा कि एम्स में जेनेटिक लैब स्थापित की जा रही है जिसकी मदद से आदिवासियों की कई बीमारियों पर शोध और अनुसंधान में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने मिलकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक श्रोत्रिय, प्रो. एन.एस. हरि नारायण मूर्ति, प्रो. ए.के. शुक्ला, प्रो. नवीन कुमार, प्रो. भूमि नाथ त्रिपाठी, प्रो. ए.पी. सिंह, प्रो. पूनम शर्मा सहित आईजीएनटीयू के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष और संकाय सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विजय पौराणिक ने किया।

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