
*अमरकंटक में मेकल पर्वत की परिक्रमा कार्तिक पूर्णिमा 05 नवंबर से होगी प्रारंभ*
*अमरकंटक ग्लोबल न्यूज़ श्रवण उपाध्याय की रिपोर्ट*

गणेश धूना से आरम्भ होकर मां नर्मदा मंदिर पूजन उपरांत सप्त दिवसीय पैदल परिक्रमा कीर्तन भजन के साथ चलेगी ।
मां नर्मदा जी की झांकी/रथ परिक्रमा की शोभा रहेगी एवं साधु संत,भक्त साथ चलेंगे
अमरकंटक — माँ नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी मेकल परिक्रमा पर्व का आयोजन बड़े भक्तिभाव और श्रद्धा के साथ किया जा रहा है । यह सप्त दिवसीय परिक्रमा यात्रा कार्तिक पूर्णिमा बुधवार 05 नवंबर 2025 से गणेश धूआ स्थल से प्रारंभ होकर मां नर्मदा मंदिर में पूजन उपरांत आगे प्रस्थान करेगी । यह परिक्रमा मंगलवार 11 नवंबर 2025 को गणेश धुना पहुंच पूर्ण होगी ।
गणेश धूआ के महंत स्वामी श्री भगवान दास जी महाराज जो इस यात्रा के प्रमुख संयोजक हैं , उन्होंने बताया कि यह यात्रा लगभग 120 किलोमीटर की पवित्र परिक्रमा है जिसने जंगली , मैदानी और पहाड़ी क्षेत्र पड़ता है । जिसका उल्लेख नर्मदा पुराण के 28वें अध्याय के श्लोक 124 , 129 में वर्णित है । उन्होंने और आगे कहा कि –
*शिवप्रिय मेकलशैल सुतासी , सकल सिद्धि सुख संपत राशि*।
पर्वतराज मैकल पर्वत जो तीनों लोकों में प्रसिद्ध और करोड़ों रुद्र देवों से युक्त है , मेकल पर्वत की परिक्रमा करने वाला व्यक्ति पृथ्वी पर सभी तीर्थों की परिक्रमा के समान पुण्य प्राप्त करता है । इस पर्वत की श्रद्धापूर्वक परिक्रमा करने से कायिक , वाचिक और मानसिक (काम , क्रोध , लोभ) तीनों प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं – ऐसा स्वयं भगवान शंकर ने पार्वती जी से कहा है ।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सैकड़ों साधु संतो , भक्तजनों एवं नर्मदा भक्त , गणमान्य नागरिक इस पावन पुनीत यात्रा में भाग लेंगे । भक्तगण इस परिक्रमा से ऐश्वर्य , धन-धान्य , रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करते हैं तथा अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं ।
स्वामी भगवानदास जी महाराज ने बताया कि यह यात्रा न केवल धार्मिक बल्कि राष्ट्र रक्षा , सांस्कृति , धर्म एवं पर्यावरण के साथ आध्यात्मिक , सत्संग का भी संदेश और लाभ मिलता है ।
मेकल परिक्रमा का कार्यक्रम इस प्रकार रहेगा
इस यात्रा के संरक्षक मां नर्मदा श्री सीताराम जू महाराज (1008) और आयोजक मां नर्मदा मेकल परिक्रमा समिति अमरकंटक भारतवर्ष ।
कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर (बुधवार) को गणेश धूआ से प्रारंभ होकर , रात्रि विश्राम जगतपुर करंजिया (जिला डिंडोरी) में पहला ठहराव ।
6 नवंबर (गुरुवार) जगतपुर से पकड़ी सोडा खन्नात तक यात्रा रात्रि विश्राम दूसरा ठहराव ।
7 नवंबर (शुक्रवार) – खन्नात से चलकर जालेश्वर धाम (अमरकंटक, छत्तीसगढ़) तक यात्रा, रात्रि विश्राम तीसरा ठहराव ।
8 नवंबर (शनिवार) – जलेश्वर धाम से पकरिया गौरेला (छत्तीसगढ़) में पुनः रात्रि विश्राम चौथा ठहराव ।
9 नवंबर (रविवार) – पकरिया से माई का मांडवा (थाड़पथरा छत्तीसगढ़) यात्रा चलकर रात्रि विश्राम में पांचवा ठहराव ।
10 नवंबर (सोमवार) – माई का मांडवा से चलकर आमांडोब गौरेला (छत्तीसगढ़) पहुंच पुनः रात्रि विश्राम का छठवां ठहराव ।
11 नवंबर (मंगलवार) – आमांडोब से पैदल चलते हुए अमरकंटक प्रवेश कर माँ नर्मदा मंदिर पहुंच पूजन-अर्चन , महाआरती पश्चात पूरी टोली सीधा गणेश धूआ में पहुंच हवन,पूजन , कन्या भोज और विशाल भंडारा बाद मेकल परिक्रमा पूर्ण होगी । तब तक कीर्तन भजन लगातार चलता रहेगा और अंतिम ठहराव सप्तम दिवस का पूर्ण हुआ ।
इस यात्रा की विशेष जानकारी हेतु संत , सेवकों
संत स्वामी सुदर्शन गिरी जी महाराज अमरकंटक 7470911456 , अजय कुमार साहू गाडासराई , पप्पू सिंह तोमर अमरहा , हनुमान गर्ग कोतमा 7354530382 , पुरुषोत्तम पिपरहा , सरपंच पकरिया , लल्लू दुबे बर्नाई , रवि शर्मा कोतमा , बृजलाल राठौर गौरेला , श्रीकांत पाटिल (सांगली, महाराष्ट्र) , राजेश अग्रवाल (गौरेला) , रज्जू सिंह नेताम (एडवोकेट , अमरकंटक) 9424365311, राजकुमार तिवारी (कोतमा) और कैलाशनाथ शर्मा (जोधपुर , राजस्थान) सहित अनेक श्रद्धालु प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं ।
जो श्रद्धालु इस परिक्रमा में सम्मिलित होना चाहते हैं , वे उपरोक्त संतों एवं आयोजकों से संपर्क कर अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।
