
*अमरकंटक में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा*

*अमरकंटक ग्लोबल न्यूज श्रवण उपाध्याय की रिपोर्ट***अमरकंटक में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा का हुआ दिव्य आयोजन
भगवन नाम सुमिरन ही संपत्ति है – महंत हेमंत जी
अमरकंटक – मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक के श्री कामदगिरि सेवा आश्रम में 30 जुलाई से 07 अगस्त 2025 तक श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया । इस दिव्य आयोजन के कथा व्यास के रूप में महंत स्वामी हेमंत दास जी महाराज कवर्धा (छत्तीसगढ़) ने भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा का सात दिवस रसपान कराया।
यह आयोजन कुंडा ग्राम जिला कबीरधाम (छत्तीसगढ़) के यादव समाज द्वारा आयोजित यह भागवत कथा कराया गया, जिसमें कुंडा ग्राम क्षेत्र से आए भक्त , श्रद्धालुओं ने भाग लेकर अमरकंटक में कथा श्रवण कराने का संकल्प लिया था जो अमरकंटक के नर्मदा तट पर सात दिवसीय कथा प्रतिदिन दोपहर 03 बजे से सायं 07 बजे तक रोजाना श्री कामदगिरि सेवा आश्रम के विराट हाल में संपन्न हुआ , जहां यादव समुदाय के भक्त प्रेमीजन बड़ी संख्या में महिला , पुरुष , बच्चे और नगरवासी उपस्थित होकर भागवत कथा का दिव्य प्रेरणामयी प्रभु और मां नर्मदा जी की पावन पुनीत कथा का वाचन ब्यास पीठ से श्रवण कराया गया । कथा ब्यास महंत हेमंत दास जी महाराज की प्रेरणादायक वाणी से आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ सभी उपस्थित जनों ने प्राप्त किया । इस कथा के आयोजन में उन्नीस परिवार जोड़ों के साथ भाग लेकर संपन्न कराया जिनमें श्रीमती गनेसिया/ अघनू राम यादव , गुरुवा बाई/रामभजन , प्रमिला देवी/परसादी , रामप्यारी/संतोष , पूर्णिमा/नरेंद्र , बजरहिन देवी/सुखिया यादव आदि उपस्थित रहे।
श्री हेमंत ब्यास जी ने अपने कथा मध्य बोले कि प्राणी प्रेम पूर्वक प्रभु नाम सुमिरन करता है वही सबसे बड़ी संपत्ति संजो कर रख पाता है ।
अमरकंटक में स्थित श्री कामद गिरी सेवा आश्रम के संत स्वामी अखिलेश्वर दास जी महाराज ने बताया कि हमारे यहां साप्ताहिक भागवत कथा का आयोजन कवर्धा पास कुंडा ग्राम के यादव समाज द्वारा कराया गया जो आज समापन हुआ ।
इस पूर्णाहुति पर छत्तीसगढ़ गो सेवा आयोग के अध्यक्ष बिसेसर पटेल सपरिवार उपस्थित हो ब्यास पीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया तथा इस अवसर पर यादव समाज के लोगों ने उनका भी सत्कार अभिनंदन किया गया । कथा स्थल पर ही विधिवत पूजन , हवन , आरती कर कन्याभोज व भंडारे का आयोजन किया गया , जिसमें श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में पधारे और प्रसाद ग्रहण किए ।
इस तरह पावन पुनीत आयोजन से अमरकंटक की पुण्यभूमि आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत हो उठती है ।

